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क्‍या, कैसे और क्‍यों होता है नार्को टेस्‍ट, इससे सुलझेगी श्रद्धा हत्‍याकांड की गुत्‍थी?

पूरे देश को हिलाकर रख देने वाले श्रद्धा वालकर मर्डर केस में पुलिस के हाथ अभी तक कोई ठोस सबूत नहीं लगे हैं। अब पुलिस को नार्को टेस्‍ट से महत्वपूर्ण सुराग मिलने की उम्‍मीद है। पुलिस का मानना है कि नार्को टेस्‍ट में आफताब सच उगल सकता है।

सोमवार (21 नवंबर ) को आफताब पूनावाला का नॉर्को-एनलिसिस टेस्‍ट होना है और पुलिस ने एक्सपर्ट की मदद से 40 अहम सवालों की लिस्‍ट तैयार कर ली है। आपको बता दें कि नार्को टेस्‍ट का इस्तेमाल पहले भी कई महत्वपूर्ण मामलों को सुलझाने के लिए किया गया है।

नार्को टेस्‍ट एक तरह का एनेस्थीसिया  (Anesthesia) होता है जिससे आरोपी अर्धबेहोशी (न पूरी तरह होश और ना ही बेहोश ) की हालत में होता है। इस टेस्‍ट का प्रयोग तभी किया जा सकता है जब आरोपी (जिसका टेस्‍ट होना है) को इस बारे में पता हो और उसने खुद इसकी अनुमति दी हो।

इस दौरान मॉलिक्यूलर लेवल पर किसी शख्स के नर्वस सिस्टम में दखल देकर उसकी हिचक कम की जाती है। जिससे व्यक्ति स्वाभविक रूप से सच बोलने लगता है।

केस के इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर, डॉक्‍टर, मनोवैज्ञानिक और फॉरेंसिक एक्‍सपर्ट की टीम की उपस्थिति में नार्को टेस्‍ट किया जाता है। टेस्‍ट के दौरान जो अधिकारी केस की जांच कर रहे हैं वो आरोपी से सवाल पूछते हैं। इस पूरे टेस्‍ट की वीडियो रिकॉर्डिंग होती है।

फारेंसिक साइंस लेबोरेटरी के अधिकारियों के मुताबिक, टेस्ट के दौरान पहले जांचकर्ता को लैबोरेटरी में भेजा जाता है। जहां उसे विस्‍तार से जानकारी दी जाती है। एक अधिकारी ने कहा क‍ि इससे फिर मनोवैज्ञानिक के पास जांच अधिकारी (आईओ) के साथ एक सत्र होता है। लैबोरेटरी के विशेषज्ञ आरोपी के साथ बातचीत करते हैं

पूरे देश को हिलाकर रख देने वाले श्रद्धा वालकर मर्डर केस में पुलिस के हाथ अभी तक कोई ठोस सबूत नहीं लगे हैं। अब पुलिस को नार्को टेस्‍ट से महत्वपूर्ण सुराग मिलने की उम्‍मीद है।

केस के इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर, डॉक्‍टर, मनोवैज्ञानिक और फॉरेंसिक एक्‍सपर्ट की टीम की उपस्थिति में नार्को टेस्‍ट किया जाता है। टेस्‍ट के दौरान जो अधिकारी केस की जांच कर रहे हैं वो आरोपी से सवाल पूछते हैं। इस पूरे टेस्‍ट की वीडियो रिकॉर्डिंग होती है।